सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palace:-
इसे ‘मेवाड़ का मुकुटमणि’ भी कहते हैं। सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palace उदयपुर में फतेहसागर झील के पास बांसदरा/बंसधारा पहाड़ी पर निर्मित है इसका निर्माण महाराणा सज्जनसिंह द्वारा करवाया गया था, सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palac भी कहलाता है।
सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palace पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है इसके ऊपरी हिस्से में पुलिस का वायरलेस केन्द्र संचालित है।
राजस्थान के किलो की स्थिति:-
S.N. | पहाड़ी का नाम | किला | |||||||
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1. | मेसा पठार | चित्तौड़गढ़ किला | |||||||
2. | त्रिकुट पहाड़ी | जैसलमेर किला | |||||||
3. | मानी पहाड़ी | बयाना का किला (भरतपुर) | |||||||
4. | भामती पहाड़ी | शाहबाद दुर्ग (बारां) | |||||||
5. | नानी सिरड़ी पहाड़ी | सोजत का किला (पाली) | |||||||
6. | चिड़ियाटूक पहाड़ी | मेहरानगढ़ (जोधपुर) | |||||||
7. | हेमकुट/गंधमादन | कुम्भलगढ़ (राजसमंद) | |||||||
8. | कनकाचल पहाड़ी | जालौर का किला | |||||||
9. | देवगिरी पहाड़ी | दौसा का किला | |||||||
10. | इंगल पहाड़ी | जयगढ़ किला | |||||||
11. | कालीखोह पहाड़ी | आमेर किला (जयपुर) | |||||||
12. | कोशवर्द्धन पहाड़ी | शेरगढ़ किला (बारां) | |||||||
13. | बिठली पहाड़ी | तारागढ़ दुर्ग (अजमेर) | |||||||
14. | बासंदर्रा पहाड़ी | सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palace | |||||||
15. | हल्देश्वर पहाड़ी | सिवाना दुर्ग (बालोतरा) |
सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palace
Udaipur General Knowledge :-
स्थापना:- 1559 ई. महाराणा उदयसिंह द्वारा
उपनाम:- महलों की नगरी, झीलों की नगरी, पूर्व का वेनिस, एशिया का वियना, जिंक सिटी, माउण्टेन व फाउण्टेन का शहर, व्हाईट सिटी | सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palace सज्जनसिंह द्वारा करवाया गया था
एकलिंगनाथ जी मंदिर:- कैलाशपुरी (उदयपुर)
734 ई. में बप्पा रावल (कालभोज) द्वारा निर्मित। मंदिर को वर्तमान स्वरूप – राणा रायमल ने दिया। यहां पर कुम्भा द्वारा निर्मित विष्णु मंदिर भी है। यहाँ भगवान शिव की काले रंग में चौमुखा प्रतिमा स्थित है।
- एकलिंगनाथ जी मेवाड़ शासकों के कुलदेवता माने जाते हैं।
- मेला- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी (महाशिवरात्रि के दिन)
- पाशुपात सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ है। प्रवर्तक- दण्डधारी लकुलीश मूनि है।
राशिदेव मंदिरः धुलाव (उदयपुर)
- कोयल नदी तट
- उपनाम – काला जी/केसरियानाथ जी/आदिनाथ जी
- धूलाँ भील द्वारा मूर्ति लाई गई
- मेला– चैत्र कृष्ण अष्टमी
- आश्विन कृष्ण एकम् से द्वितीय को प्रतिवर्ष रथयात्रा निकाली जाती है। आदिवासी लोग काला जी की झूठी कसम नही खाते। वैष्णव, शैव, जैन, आदिवासी सामान रूप से पूजा करते है। 1100 खंभों पर निर्मित इस मंदिर में चूने पत्थर का प्रयोग नही किया गया। विश्व में सर्वाधिक केसर भी यही पर चढता है।
सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palace
सज्जनगढ़ दुर्ग I Sajjangarh Monsoon Palace: मेवाड़ का मुकुटमणि’
सास-बहू/सहस्त्रबाहू का मंदिरः- नागदा (उदयपुर)
- 4 हजार भुजाओं वाले विष्णु जी का मंदिर
- नागदा गुहिल शासकों की पहली राजधानी थी।
- सहस्त्रबाहू को खुमाण रावल का देवरा तथा अदबद जी का मंदिर भी कहते है। यहां पर दो जुडवाँ वैष्णव मंदिर है।
- इस मंदिर का शिखर नागर शैली में बना है।
जगदीश मंदिर/सपनों का मंदिर/जगन्नाथराय मंदिर
- शिल्पी अर्जुन, भाणा सुथार व मुकुन्द
- जगतसिंह प्रथम के द्वारा निर्मित मंदिर यह मंदिर सिटी पैलेस के बाहर स्थित है। पंचायतन शैली में बना मंदिर
- यहां पर औरंगजेब ने आक्रमण किया तो ‘माचातोड़’ का युद्ध हुआ
- यहां पर नाहर जी बारहठ/नारूजी बारहठ द्वारा अपने 20 साथियों सहित वीरगति के प्रमाण मिलते है। (जगन्नाथ प्रशस्ति-कृष्ण भट्ट)
मच्छन्दर नाथ मंदिर/सांझी मंदिर/सझंया मंदिर –
- सांझी- गोबर से बनाई गई कलाकृति
- सांझी पार्वती का प्रतिक मानी जाती है। सांझी का कार्य भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक किया जाता है।
नोट :- केले के पत्ते पर सांझी नाथद्वारा, राजसमंद की प्रसिद्ध है।
बोहरा गणेश जी मंदिर:- महाराणा राजसिंह ने बनवाया।
बाणमाता मंदिरः– नागदा, सिसोदिया वंश की कुलदेवी , लक्ष्मणसिंह द्वारा निर्मित
- मेवाड़ महोत्सव- उदयपुर
- मनसापूर्ण करणी माता मंदिर पिछोला झील किनारे ऊंची पहाड़ी पर स्थित, यहां पर रोप वे संचालित है।
- विक्रमादित्य मेला चैत्र अमावस्या
- गुलाब बाग :- महाराणा सज्जनसिंह द्वारा निर्मित।
- दुध तलाई, जगनिवास, जगमंदिर :- उदयपुर
- सहेलियों की बाड़ी:- महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित
सलुम्बर :-
जगत अम्बिका मंदिर जगत:-
- (सलुम्बर) में, अल्लट द्वारा निर्मित यहां पर नृत्य करते गणेश जी की प्रतिमा स्थित है।
- यह मंदिर ‘नागर’ शैली में बना हुआ है। इसे मेवाड़ का खजुराहो कहते हैं।
जावर माता का मंदिर:- खनन की देवी, शिल्पी ईश्वर
कुम्भा की पुत्री रमाबाई को जावर की जागीर मिली थी। यहां पर विष्णु मंदिर व रमाकुण्ड स्थित है।
सलुम्बर;- यहां पर हाड़ी रानी सहलकंवर का स्मारक बना है।
चावण्ड़:- महाराणा प्रताप ने लूणा चावंडिया को हराकर 1585 ई. में अपनी आपातकालीन राजधानी बनाया यहीं पर राणा प्रताप ने चामुण्डा माता का मंदिर बनवाया। चावण्ड के धौलिया गांव में राणा प्रताप के महलों के अवशेष मिले हैं।
कुम्भलगढ़ दुर्ग I दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार से मशहूर कुम्भलगढ़ किला के बारे में मैं भी जाने