चित्तौड़गढ़ दुर्ग I Chittorgarh Fort

चित्तौड़गढ़ दुर्ग

चित्तौड़गढ़ दुर्ग I Chittorgarh Fort के उपनाम:-

चित्तौड़गढ़ दुर्ग I Chittorgarh Fort का निर्माण:-

चित्तौड़गढ़ दुर्ग I Chittorgarh Fort की विशेषताएँ:-

चित्तौड़गढ़ दुर्ग I Chittorgarh Fort किले का इतिहास:-

महाराणा कुम्भा ने चित्तौड़ दुर्ग का जीर्णोद्धार करवाया, रथ मार्ग और सातों प्रवेश द्वारों, विजय स्तम्भ, कुंभ श्याम मंदिर, कुंभा के महल, श्रृंगार चंवरी का निर्माण करवाया।
चित्तौड़ दुर्ग के विस्तार एवं परिवर्द्धन का श्रेय महाराणा कुम्भा को जाता है। इसलिए चित्तौड़गढ़ दुर्ग का आधुनिक निर्माता महाराणा कुंभा को माना जाता है।

चितौड़ किले में 7 प्रवेश द्वार है इनका निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1433-68 ई. के मध्य करवाया था, जो क्रमशः निम्न प्रकार है-

चित्तौड़गढ़ दुर्ग I Chittorgarh Fort के प्रमुख जल स्रोत:-

किले के प्रमुख महल:-

किले के प्रमुख मंदिर:-

  • राजस्थान पुलिस व मा.शि. बोर्ड अजमेर के प्रतीक चिह्न में भी विजयस्तम्भ दर्शाया गया है।

जैन कीर्ति स्तम्भ:- चित्तौड़ दुर्ग

श्यामनारायण पाण्डेय की कविता ‘पूजन‘- इधर प्रयाग न गंगासागर, इधर न रामेश्वर काशी इधर कहाँ है तीर्थ तुम्हारा, कहाँ चले तुम सन्यासी। मुझे न जाना गंगासागर, मुझे न रामेश्वर काशी तीर्थराज चित्तौड़ देखने को, मेरी आँखे प्यासी।

गोरा बादल (कविता) – पं. नरेन्द्र मिश्रा

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