यह गिरी दुर्ग है। इसका निर्माण 1354 ई. में बूंदी के राव देवा के प्रपौत्र राव बरसिंह हाड़ा द्वारा बूंदी शहर के उत्तरी छोर की पहाड़ी पर करवाया गया है।
तारागढ़ दुर्ग | Taragarh Fort का निर्माण मेवाड़, मालवा व गुजरात के शासकों के हमले से बचने के लिए करवाया गया था।
प्राचीन काल में तारागढ़ दुर्ग | Taragarh Fort में मीणा सरदार बूंदा मीणा का शासन था उसी के नाम से बूँदी नाम पड़ा।
जिस समय देवा हाड़ा ने जैता मीणा से बूंदी छीना, उस समय यह ‘बन्दू का नाल’ कहलाता था।
तारागढ़ ऊँचे पर्वत पर स्थित होने व धरती से आकाश के तारे के समान दिखाई पड़ने के कारण तारागढ़ कहलाया। तारागढ़ दुर्ग | Taragarh Fort दुर्ग की बाहरी प्राचीर का निर्माण 18वीं शताब्दी में दलेलसिंह ने करवाया था।
गर्भगुंजन तोप :-
शक्तिशाली तोप, जिसमें पलीता लगाने के बाद तोपचियों को जल में कूदना पड़ता था। तारागढ़ दुर्ग | Taragarh Fort में इसको रखने के लिए भीम बुर्ज/चौबुर्ज बनवाई गई।
तारागढ़ दुर्ग | Taragarh Fort“ के प्रमुख महल :-
- रंगमहल बूंदी किले में ‘रंगमहल’ का निर्माण राव शत्रुशाल (छत्रशाल) ने करवाया था।
- चित्रशाला (रंगीन चित्र) निर्माण महाराजा उम्मेदसिंह ने करवाया था, बूंदी के राजमहलों की इस चित्रशाला में जीवन्त भित्ति चित्रों का अनमोल खजाना है।
- जीवरक्खा महल, दूदा महल (सबसे प्राचीन), अनिरूद्ध महल, उम्मेद महल, बादल महल, छत्रशाल महल, रतनमहल, फूलसागर महल, यंत्रशाला बने हैं।
- छत्रशाल महल, यंत्रशाला, बादल महल व अनिरूद्ध महल के भित्ति चित्र देखते ही बनते हैं।
- रतनदौलत दरीखाना बूंदी के राजमहलों में स्थित है, यहाँ पर बूँदी के शासकों का राजतिलक होता था।
- बूँदी गढ़ में एक रंग महल को राजा उमेद सिंह ने सुराना मोहल्ला में बनवाया था। पूरा महल मुगल और ब्रिटिश शैली के स्थापत्य मिश्रण से बना हुआ है। इस महल का मुख्य आकर्षण 18 वीं सदी के पंजाब पहाड़ी शैली के भित्तिचित्र है जो भगवान कृष्ण के जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।
महल नहीं बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी राजाओं के बनाये गये महल है इसलिए महलों का परिसर भी कहा जाता है, जो गढ़ पैलेस भी कहलाता है। - गढ़ पैलेस के पास ही ‘नवलसागर झील‘ स्थित है।
- किले की पहाड़ी के पास ‘जैतसागर‘ झील है।
“कर्नल टॉड ने रजवाड़ों के राजप्रासादों में बूंदी के राजमहलों के सौन्दर्य को सर्वश्रेष्ठ कहा है।
रूडयार्ड किपलिंग अंग्रेजी उपन्यासकार) बूंदी आने पर सुखमहल (जैतसागर किनारे) में ठहरे थे। किपलिंग का कथन “बूंदी के किले को प्रेतों ने बनाया था”।
यह किला तिलस्मी किला भी कहलाता है।”
“महाराणा क्षेत्रसिंह बूँदी विजय करने के प्रयास में मारे गये, उनके पुत्र राणा लाखा ने तारागढ़ जीतने की कसम खाई थी, काफी प्रयासों के बाद भी बूँदी पर अधिकार नहीं कर सके तो मिट्टी का किला बनवा कर उसे ध्वस्त कर अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण की।”
तारागढ़ दुर्ग | Taragarh Fort पर अधिकार को लेकर हुए विवाद में ही यहाँ के शासक बुद्धसिंह की कछवाही रानी (अमरकंवरी) ने स्वयं की सहायता के लिए मराठों को राजपूताना में आमंत्रित किया था।
1569 में बूंदी के सूरजन हाड़ा ने अकबर की अधीनता स्वीकार की थी।
रानी जी की बावड़ी राव राजा अनिरूद्ध सिंह की पत्नी रानी लाड कंवर जी नाथावत द्वारा निर्मित है। यह बावड़ी इस किले में नहीं बल्कि बूंदी शहर में स्थित है।
तारागढ़ दुर्ग | Taragarh Fort” के प्रमुख महल :-
रंगमहल बूंदी:-

- रंग महल को राजा उमेद सिंह ने सुराना मोहल्ला में बनवाया था।
- पूरा महल मुगल और ब्रिटिश शैली के स्थापत्य मिश्रण से बना हुआ है।
- इस महल का मुख्य आकर्षण 18 वीं सदी के पंजाब पहाड़ी शैली के भित्तिचित्र है जो भगवान कृष्ण के जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।
रतनदौलत दरीखाना:-

रतन दौलत राजस्थान के बूंदी का एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।
यह स्मारक राजपूत शासकों की बहादुरी, वफादारी और महान उपलब्धियों का प्रतीक है। रतन दौलत का निर्माण राजा राव रतन सिंह ने करवाया था, जो सबसे महान और बहादुर राजपूत राजाओं में से एक थे। स्मारक को अनोखे ढंग से डिज़ाइन किया गया है, अस्तबल में सभी कोच खूबसूरती से डिज़ाइन किए गए हैं और उनमें जटिल नक्काशी है। हटिया पोल भी रतन दौलत का एक महत्वपूर्ण आकर्षण है।
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