गागरौन दुर्ग | Gagron Fort

गागरौन दुर्ग | Gagron Fort

गागरौन दुर्ग | Gagron Fort के उपनाम – गर्गराटपुर/डोडगढ़/धूलरगढ़

  • गर्गराटपुर: – यहाँ भगवान कृष्ण के पुरोहित गर्गाचारी की साधना स्थली थी, उनके नाम से गर्गराटपुर कहा जाता है।
  • जालिम कोट: – कोटा के झाला जालिमसिंह (सेनापति) द्वारा निर्मित विशाल परकोटा जालिमकोट कहलाता है।
  • पाषाणकालीन उपकरणों हेतु गागरोन दुर्ग प्रसिद्ध है।

गागरौन दुर्ग के साके:-

गागरौन दुर्ग | Gagron Fort में दो साके हुये हैं-

आक्रमण मांडू शासक महमूद खिलजी प्रथम का था।

21 जून, 2013 को इस किले को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इस किले पर 2018 में 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया गया।

“बेलि क्रिसन रूकमणी री- पृथ्वीराज राठौड़ (चीकानेर के कल्याणमल का पुत्र) ने अपनी इस पुस्तक की रचना इसी किले में की थी।

झालावाड का इतिहास :-

  • झालरापाटन :- घंटियों का शहर, बिन्दौरी नृत्य, ढोला मारू नृत्य, नवलखा दुर्ग (पृथ्वीसिंह द्वारा निर्मित)
  • मीठे साहब का उर्स/संत हमीमूद्दीन का उर्स :- गागरोण दुर्ग
  • गोमती सागर पशु मेला :- झालरापाटन – वैशाख पूर्णिमा , मालवी नस्ल के लिए प्रसिद्ध (गाय की), यह हाड़ौती प्रदेश का सबसे बड़ा पशु मेला है।
  • चन्द्रभागा पशु मेला:- झालरापाटन– कार्तिक पूर्णिमा इस मेले को हाड़ौती का सुरंगा मेला (अक्टुबर नवम्बर) भी कहते हैं।
शीतलेश्वर महादेव मंदिर:- झालरापाटन
सात सहेलियों का मंदिर/पदमनाभ मंदिर/सूर्य मंदिर:-
  • कर्नल टॉड ने इसे चारभुजा मंदिर कहा।
  • इस मंदिर में भगवान सूर्य घुटनों तक जुते पहने हुए है। कच्छपघात शैली में यह मंदिर बना है। नागर शैली से मिलती जुलती है।
कौलवी की गुफाएँ:-
शांतिनाथ जैन मंदिर:- झालरापाटन
  • काले रंग की जैन तीर्थकर शांतिनाथ की प्रतिमा
  • कच्छपात शैली में बना मंदिर

चांदखेड़ी जैन मंदिर :- खानपुर (झालावाड़)

■ बघेरवाल जैन व्यापारी ने बनाया।

■ प्रथम जैन तीर्थकर आदिनाथ को समर्पित

नोट – आदिनाथ को समर्पित अन्य मंदिर

गागरौन दुर्ग | Gagron Fort के बारे में मुझे भी जाने

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